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मुझ से बिछड़ के ख़ुश रहते हो | शाही शायरी
mujhse bichhaD ke KHush rahte ho

ग़ज़ल

मुझ से बिछड़ के ख़ुश रहते हो

बशीर बद्र

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मुझ से बिछड़ के ख़ुश रहते हो
मेरी तरह तुम भी झूटे हो

इक दीवार पे चाँद टिका था
मैं ये समझा तुम बैठे हो

उजले उजले फूल खिले थे
बिल्कुल जैसे तुम हँसते हो

मुझ को शाम बता देती है
तुम कैसे कपड़े पहने हो

दिल का हाल पढ़ा चेहरे से
साहिल से लहरें गिनते हो

तुम तन्हा दुनिया से लड़ोगे
बच्चों सी बातें करते हो