मुझ को कभी भी उन से शिकायत हुई नहीं
शायद इसी लिए तो मोहब्बत हुई नहीं
ग़ैरों से मेहरबानी की उम्मीद क्या करें
हम पर तो आप की भी इनायत हुई नहीं
वो लोग कूचे कूचे भटकने लगे हैं आज
जिन को ख़ुद अपने घर से भी चाहत हुई नहीं
हम ही तो थे जो वक़्त पे ही काम आ गए
अच्छा हुआ कि हम से अदावत हुई नहीं
मैं ने कभी किसी का दुखाया नहीं है दिल
मुझ को कभी किसी से नदामत हुई नहीं
तूफ़ान-ए-बाद-ओ-बाराँ में सब बह गया 'किरन'
बरसात अब की बाइस-ए-रहमत हुई नहीं

ग़ज़ल
मुझ को कभी भी उन से शिकायत हुई नहीं
कविता किरन