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मुझ को फ़ुर्क़त से गुज़ारा जाएगा | शाही शायरी
mujhko furqat se guzara jaega

ग़ज़ल

मुझ को फ़ुर्क़त से गुज़ारा जाएगा

आरिफ़ इशतियाक़

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मुझ को फ़ुर्क़त से गुज़ारा जाएगा
आज तो शब-ख़ून मारा जाएगा

राएगाँ मैं और तू भी राएगाँ
दूर तक उस का ख़सारा जाएगा

याद की गलियों में सीना पीट कर
रात-दिन तुम को पुकारा जाएगा

सरहद-ए-दिल पर है ख़ूनी मा'रका
आज अपना आप मारा जाएगा

आप को नफ़रत पसंद आई मिरी
आप पर से ख़ून वारा जाएगा

मैं ने फ़रमाया था कि दिल से न जा
अब गया थोड़ा तो सारा जाएगा