मुए सहते सहते जफ़ा-कारियाँ 
कोई हम से सीखे वफ़ादारियाँ 
हमारी तो गुज़री इसी तौर उम्र 
यही नाला करना यही ज़ारियाँ 
फ़रिश्ता जहाँ काम करता न था 
मिरी आह ने बर्छियाँ मारियाँ 
गया जान से इक जहाँ ले के शोख़ 
न तुझ से गईं ये दिल-आज़ारियाँ 
कहाँ तक ये तकलीफ़-ए-मा ला-युताक़ 
हुईं मुद्दतों नाज़-बर्दारियाँ 
ख़त-ओ-काकुल-ओ-ज़ुल्फ़-ओ-अंदाज़-ओ-नाज़ 
हुईं दाम-ए-रह सद-गिरफ़्तारियाँ 
किया दर्द-ओ-ग़म ने मुझे ना-उमीद 
कि मजनूँ को ये ही थीं बीमारियाँ 
तिरी आश्नाई से ही हद हुई 
बहुत की थीं दुनिया में हम यारियाँ 
न भाई हमारी तो क़ुदरत नहीं 
खिंचीं 'मीर' तुझ से ही ये ख़्वारियाँ
        ग़ज़ल
मुए सहते सहते जफ़ा-कारियाँ
मीर तक़ी मीर

