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मुद्दआ' हासिल मिरा हो कर रहा | शाही शायरी
muddaa hasil mera ho kar raha

ग़ज़ल

मुद्दआ' हासिल मिरा हो कर रहा

वक़ार हिल्म सय्यद नगलवी

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मुद्दआ' हासिल मिरा हो कर रहा
दर्द-ए-दिल दिल की दवा हो कर रहा

हौसला ही आसरा हो कर रहा
कोई दर हो हम को वा हो कर रहा

रास हम को आ गए सारे अलम
उम्र का तय मरहला हो कर रहा

ला'ल उगल कर आग उगला है सदा
लाला-रू किस का सगा हो कर रहा

वस्ल-ए-हमदम से रहे महरूम हम
लिक्खा तालेअ' का सदा हो कर रहा

सदमे हर लम्हा सहे हद से सिवा
दिल का हर घाव हरा हो कर रहा

'हिल्म' हम को खा गई दिल की लगी
हल्का हल्का दर्द सा हो कर रहा