मोहतसिब से सलाह कीजिएगा
मय को चंदे मुबाह कीजिएगा
नामा-बर मिल रहा है ग़ैर के साथ
ख़त में कुछ इस्तिलाह कीजिएगा
दुख़्तर-ए-रज़ को दी तलाक़ पर अब
मुग़्बचों से निकाह कीजिएगा
सुब्ह का काम शाम पर तो रखा
शाम बोला सबाह कीजिएगा
गर यही डोल है तो कब 'क़ाएम'
साज़-ओ-बर्ग-ए-फ़लाह कीजिएगा
ग़ज़ल
मोहतसिब से सलाह कीजिएगा
क़ाएम चाँदपुरी