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मोहब्बतों में वफ़ा का हिसाब देगा कौन | शाही शायरी
mohabbaton mein wafa ka hisab dega kaun

ग़ज़ल

मोहब्बतों में वफ़ा का हिसाब देगा कौन

मीना नक़वी

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मोहब्बतों में वफ़ा का हिसाब देगा कौन
अँधेरी शब के लिए आफ़्ताब देगा कौन

तुम अपनी नींद से जागो तो इक सवाल करें
कि रत-जगों का हमारे हिसाब देगा कौन

अगर रहेगा यही हाल बे-नियाज़ी का
तुम्हारे हाथ में दिल की किताब देगा कौन

थकी थकी सी नज़र को कहाँ मयस्सर तुम
ख़िज़ाँ के दौर में खिलता गुलाब देगा कौन

दिल-ओ-नज़र में खटकते हैं रोज़-ओ-शब 'मीना'
कई सवाल कि जिन का जवाब देगा कौन