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मोहब्बत मिरी रंग लाने लगी है | शाही शायरी
mohabbat meri rang lane lagi hai

ग़ज़ल

मोहब्बत मिरी रंग लाने लगी है

मुहीउद्दीन इरफ़ान

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मोहब्बत मिरी रंग लाने लगी है
कि उन की नज़र मुस्कुराने लगी है

ये छेड़ा है किस ने रबाब-ए-मोहब्बत
कि हर साँस कुछ गुनगुनाने लगी है

वही ले गए हैं सकूँ ज़िंदगी का
जिन्हें हर तमन्ना बुलाने लगी है

शब-ए-ग़म मरी बे-क़रारी से थक कर
सितारों को भी नींद आने लगी है

उन्हें पा के महसूस करता हूँ 'इरफ़ाँ'
कि दुनिया मुझे आज़माने लगी है