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मोहब्बत का अच्छा नतीजा न देखा | शाही शायरी
mohabbat ka achchha natija na dekha

ग़ज़ल

मोहब्बत का अच्छा नतीजा न देखा

नूह नारवी

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मोहब्बत का अच्छा नतीजा न देखा
न देखा न देखा न देखा न देखा

यूँही दिल मुझे दे दिया उस ने वापस
न सोचा न समझा न जाँचा न देखा

कभी लुत्फ़ उठाए कभी ग़म उठाए
ख़ुदा की ख़ुदा की मैं क्या क्या न देखा

चलो 'नूह' तुम को दिखा लाएँ तुम ने
न मय-ख़ाना देखा न बुत-ख़ाना देखा