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मोहब्बत ग़ज़ल है इबादत ग़ज़ल है | शाही शायरी
mohabbat ghazal hai ibaadat ghazal hai

ग़ज़ल

मोहब्बत ग़ज़ल है इबादत ग़ज़ल है

मोहन सिंह ओबेरॉय दीवाना

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मोहब्बत ग़ज़ल है इबादत ग़ज़ल है
ग़ज़ल मा'रिफ़त है शरीअ'त ग़ज़ल है

ग़िना ज़ीरकी और लताफ़त ग़ज़ल है
क़सम ले लो कसरत में वहदत ग़ज़ल है

तख़य्युल तसव्वुर तशाबोह तवाज़ुन
इस अर्बा की यकजाई सूरत ग़ज़ल

हर इक बंद हर मसनवी तूल क़ामत
ग़ज़ल अर्ज़ ओ जौहर है क़ीमत ग़ज़ल है

ख़ुदी को लिए बे-ख़ुदी को सँभाले
इताअत ग़ज़ल है बग़ावत ग़ज़ल है

ग़ज़ल गर्दिश ओ मेहवर ओ दायरा है
ग़ज़ल फ़र्द-ए-वाहिद है मिल्लत ग़ज़ल है

बहम तंज़ ओ तौसीफ़ ओ शुक्र ओ शिकायत
फ़साहत ग़ज़ल है बलाग़त ग़ज़ल है

हरीफ़ों से ये क़ौल-ए-'दीवाना' कह दो
ग़ज़ल है जो हसरत तो हसरत ग़ज़ल है