EN اردو
मोहब्बत एक ऐसा रास्ता है | शाही शायरी
mohabbat ek aisa rasta hai

ग़ज़ल

मोहब्बत एक ऐसा रास्ता है

ज़करिय़ा शाज़

;

मोहब्बत एक ऐसा रास्ता है
चलो जितना ये इतना रास्ता है

हवा है धुँद है और तेज़ बारिश
पहाड़ी है ज़रा सा रास्ता है

कभी उकता गया मैं ख़ुद ही ख़ुद से
कभी अपना ही देखा रास्ता है

ज़माने हो गए हैं चलते चलते
कहाँ जाता ये दिल का रास्ता है

कहीं साँसें चढ़ा देता है मेरी
कहीं आहिस्ता चलता रास्ता है

वही ओढ़ी हुई है धूल अब तक
वही पैरों से लिपटा रास्ता है

ये कैसे मोड़ पर मैं आ गया हूँ
कि चलता हूँ तो चलता रास्ता है

मोहब्बत हौसला है अपना अपना
कहीं मंज़िल किसी का रास्ता है

सभी की अपनी अपनी मंज़िलें 'शाज़'
सभी का अपना अपना रास्ता है