EN اردو
मो'जिज़ा ये भी दिखाया मैं ने | शाही शायरी
moajiza ye bhi dikhaya maine

ग़ज़ल

मो'जिज़ा ये भी दिखाया मैं ने

निगार अज़ीम

;

मो'जिज़ा ये भी दिखाया मैं ने
अपने क़ातिल को रुलाया मैं ने

ख़ुद ही ज़ख़्मों से सजाया दिल को
और फिर जश्न मनाया मैं ने

ज़ीस्त बे-नूर हुई जाती थी
फिर लहू दिल का जलाया मैं ने

चाँद और फूल ही क्या हर शय में
बस तिरा अक्स ही पाया मैं ने

तेरी यादों को सजा कर दिल में
इक सनम-ख़ाना बनाया मैं ने

शहर-ए-एहसास था वो ख़ुद भी 'निगार'
बुत-कदा दिल का जो ढाया मैं ने