मिरी हर ख़ुशी ख़ुशी थी तिरी हर ख़ुशी से पहले
मुझे कोई ग़म नहीं था ग़म-ए-आशिक़ी से पहले
कोई कश्मकश नहीं थी ग़म-ए-दुश्मनी से पहले
मुझे ख़ौफ़ ही कहाँ था तिरी दोस्ती से पहले
न बहार-ए-मैकदा थी न सुरूर-बख़्श नग़्मे
तिरे मय-कदे में क्या था मिरी मय-कशी से पहले
मैं दुआएँ चाहता हूँ मैं दुआ का मुस्तहिक़ हूँ
तुम्हें कौन जानता था मिरी दोस्ती से पहले
हुई शम-ए-हुस्न रौशन तो मैं बन गया पतंगा
तिरी बंदगी थी सूनी मिरी ज़िंदगी से पहले
कहीं तीरगी थी 'मैकश' कहीं तीरगी के डेरे
कहीं रौशनी नहीं थी मिरी रौशनी से पहले
ग़ज़ल
मिरी हर ख़ुशी ख़ुशी थी तिरी हर ख़ुशी से पहले
मैकश नागपुरी