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मिरे वजूद में वो इस तरह समो जाए | शाही शायरी
mere wajud mein wo is tarah samo jae

ग़ज़ल

मिरे वजूद में वो इस तरह समो जाए

जलील हैदर लाशारी

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मिरे वजूद में वो इस तरह समो जाए
जो मेरे पास है सब कुछ उसी का हो जाए

अभी तो आँख के अंदर है तैरता आँसू
टपक पड़ा तो न घर ही कहीं डुबो जाए

ख़ुशी मिले भी तो ये दिल उदास रहता है
बस एक ख़ौफ़ सा रहता है कुछ न हो जाए

तुम्हें यक़ीं है कि मंज़िल है दो ही क़दमों पर
मुझे ये डर है कहीं रास्ता न खो जाए

तमाम क़ाफ़िला अब जागता है इस डर से
कहीं अमीर न ग़फ़लत की नींद सो जाए

कभी तो ख़्वाब भी ताबीर पा सकें अपने
ये दाएरों का सफ़र जो तमाम हो जाए