मिरे नसीब का है या सितारा ख़्वाब का है
सफ़र के बाब में लेकिन सहारा ख़्वाब का है
तिरे ख़याल का सहरा उबूर करने में
है नफ़अ दर्द का लेकिन ख़सारा ख़्वाब का है
जले-बुझे हुए ख़ेमे की राख में जिस को
सितारे ढूँडते हैं वो शरारा ख़्वाब का है
ख़ुदा करे कि खुले एक दिन ज़माने पर
मिरी कहानी में जो इस्तिआरा ख़्वाब का है
बरस रहा है ज़मीन-ए-सुख़न पे जो 'ख़ुर्शीद'
किसी मलाल का या अब्र-पारा ख़्वाब का है
ग़ज़ल
मिरे नसीब का है या सितारा ख़्वाब का है
ख़ुर्शीद रब्बानी