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मिरे दिल पे तेरा क़ब्ज़ा मिरा इख़्तियार तू है | शाही शायरी
mere dil pe tera qabza mera iKHtiyar tu hai

ग़ज़ल

मिरे दिल पे तेरा क़ब्ज़ा मिरा इख़्तियार तू है

शातिर हकीमी

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मिरे दिल पे तेरा क़ब्ज़ा मिरा इख़्तियार तू है
मिरी ज़िंदगी का हासिल मिरा इंतिज़ार तू है

तिरा किस से वास्ता है तुझे किस की है तमन्ना
जो हलाक-ए-जल्वा-ए-ग़म दिल-ए-बे-क़रार तू है

मिरी मुश्किलों में अक्सर मिरे काम आने वाले
मिरा मूनिस-ओ-निगहबाँ मिरा ग़म-गुसार तू है

तुझे मेरी जुस्तुजू है मुझे आरज़ू है तेरी
तिरा ए'तिबार मैं हूँ मिरा ए'तिबार तू है

कोई दूर दूर तुझ से कोई पास पास तेरे
कहीं तू करे है पर्दा कहीं आश्कार तू है

कहीं रुख़ चमक रहे हैं कहीं दिल महक उठे हैं
कहीं ज़ाै-फ़िशानियाँ हैं कहीं मुश्क-बार तू है

तिरे दर पे आ गया है ये सियाहकार 'शातिर'
मिरी बख़्श दे ख़ताएँ कि अता-शिआर तू है