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शब था नालाँ अज़ीज़ कोई था | शाही शायरी
shab tha nalan aziz koi tha

ग़ज़ल

शब था नालाँ अज़ीज़ कोई था

मीर तक़ी मीर

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शब था नालाँ अज़ीज़ कोई था
मुर्ग़-ए-ख़ुश-ख़्वाँ अज़ीज़ कोई था

थी तुम्हारे सितम की ताब उस तक
सब्र जो याँ अज़ीज़ कोई था

शब को उस का ख़याल था दिल में
घर में मेहमाँ अज़ीज़ कोई था

चाह बेजा न थी ज़ुलेख़ा की
माह-ए-कनआँ अज़ीज़ कोई था

अब तो उस की गली में ख़ार है लेक
'मीर' बे-जाँ अज़ीज़ कोई था