मिलने वाले कहाँ कहाँ से मिले
मौत को ज़िंदगी जहाँ से मिले
ऐसा ख़ुश-रंग फूल है इक तू
तेरा सानी ना गुलिस्ताँ से मिले
डूब जा इश्क़ के समुंदर में
रास्ते दिल के तो वहाँ से मिले
तू खुलूस-ओ-अदब का पैकर है
अब दुआ तुझ को हर ज़बाँ से मिले
बाब सत-रंगी तुझ को दे आई
रंग जब तेरा आसमाँ से मिले
भूल बैठा है वो हमें लेकिन
याद उस की तो हर फ़ुग़ाँ से मिले
कल उसे शक था 'रेनू' मंज़िल का
आज हर शख़्स कारवाँ से मिले
ग़ज़ल
मिलने वाले कहाँ कहाँ से मिले
रेणू वर्मा