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मिले हैं प्यार के लम्हे तो उन में खो जाएँ | शाही शायरी
mile hain pyar ke lamhe to un mein kho jaen

ग़ज़ल

मिले हैं प्यार के लम्हे तो उन में खो जाएँ

सहबा अख़्तर

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मिले हैं प्यार के लम्हे तो उन में खो जाएँ
नसीब जाग रहा है तो आओ सो जाएँ

सर-ए-बहिश्त ग़ज़ल कौसर-ए-मोहब्बत में
उठो कि क़र्ज़ अदा तिश्नगी के हो जाएँ

ये अश्क अश्क गुहर राएगाँ न जाएँगे
जो उन को शे'र की लड़ियों में हम पिरो जाएँ

बहार हो कि ख़िज़ाँ कार-गाह-ए-हस्ती में
उन्हें किसी से ग़रज़ क्या जो तेरे हो जाएँ

चमन नसीब ज़माना करेगा याद हमें
ज़मीन-ए-शेर में 'सहबा' ख़याल बो जाएँ