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मिल उस परी से क्या क्या हुआ दिल | शाही शायरी
mil us pari se kya kya hua dil

ग़ज़ल

मिल उस परी से क्या क्या हुआ दिल

वलीउल्लाह मुहिब

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मिल उस परी से क्या क्या हुआ दिल
शैदा हुआ दिल रुस्वा हुआ दिल

बर्क़-ए-तजल्ली देख उस निगह की
जूँ तूर जल कर सुर्मा हुआ दिल

उस संग-दिल की मय-ख़्वारगी से
ख़ून-ए-जिगर में मीना हुआ दिल

हैं मुनक़सिम ये ख़ूँ-बार आँखें
जिन की बदौलत दरिया हुआ दिल

जोश-ए-जुनूँ से इश्क़-ए-बुताँ में
सीना हुआ कोह-ए-सहरा हुआ दिल

सोज़ाँ है अज़ बस दाग़-ए-मोहब्बत
इक इक का सा शो'ला हुआ दिल

यूँही 'मुहिब' थी ख़्वाहिश ख़ुदा की
अब तो बुताँ का बंदा हुआ दिल