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मिल कर जुदा हुए तो न सोया करेंगे हम | शाही शायरी
mil kar juda hue to na soya karenge hum

ग़ज़ल

मिल कर जुदा हुए तो न सोया करेंगे हम

क़तील शिफ़ाई

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मिल कर जुदा हुए तो न सोया करेंगे हम
इक दूसरे की याद में रोया करेंगे हम

आँसू झलक झलक के सताएँगे रात भर
मोती पलक पलक में पिरोया करेंगे हम

जब दूरियों की आग दिलों को जलाएगी
जिस्मों को चाँदनी में भिगोया करेंगे हम

बिन कर हर एक बज़्म का मौज़ू-ए-गुफ़्तुगू
शे'रों में तेरे ग़म को समोया करेंगे हम

मजबूरियों के ज़हर से कर लेंगे ख़ुद-कुशी
ये बुज़दिली का जुर्म भी गोया करेंगे हम

दिल जल रहा है ज़र्द शजर देख देख कर
अब चाहतों के बीज न बोया करेंगे हम

गर दे गया दग़ा हमें तूफ़ान भी 'क़तील'
साहिल पे कश्तियों को डुबोया करेंगे हम