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मेरे मुग़न्नी तुझे क्या हो गया | शाही शायरी
mere mughanni tujhe kya ho gaya

ग़ज़ल

मेरे मुग़न्नी तुझे क्या हो गया

मंज़ूर हुसैन शोर

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मेरे मुग़न्नी तुझे क्या हो गया
नग़्मा भी अंदोह-फ़ज़ा हो गया

तू ने मिरे दर्द का दरमाँ किया
और भी कुछ दर्द सिवा हो गया

निकहत-ए-गुल से भी लगी दिल पे चोट
ग़ुंचा जहाँ चाक-क़बा हो गया

हाए वो माथा जो हुआ दाग़-दार
हैफ़ वो सज्दा जो अदा हो गया

एक ग़ज़ल हम ने पढ़ी थी कि 'शोर'
हश्र सर-ए-बज़्म बपा हो गया