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मेरे लिए दुनिया के क़ज़ाया को बनाया | शाही शायरी
mere liye duniya ke qazaya ko banaya

ग़ज़ल

मेरे लिए दुनिया के क़ज़ाया को बनाया

मीर अली औसत रशक

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मेरे लिए दुनिया के क़ज़ाया को बनाया
तेरे लिए आसाइश-ए-दुनिया को बनाया

मज़रूफ़ से तक़दीम कहाँ ज़र्फ़ ने पाई
दिल बा'द बना पहले तमन्ना को बनाया

होता चला आता है ज़माना तह-ओ-बाला
आ'ला को बिगाड़ा कभी अदना को बनाया

मयख़ाना-ए-दुनिया में है इफ़रात-ए-मय-ए-इ'ज्ज़
झुकने के लिए गर्दन-ए-मीना को बनाया

है गुफ़्त-ओ-शुनीद ऐसे से ऐ 'रश्क' कि जिस ने
गोश-ए-शुनवा-ओ-लब-ए-गोया को बनाया