EN اردو
मेरे ख़त का जवाब आया था | शाही शायरी
mere KHat ka jawab aaya tha

ग़ज़ल

मेरे ख़त का जवाब आया था

राणा गन्नौरी

;

मेरे ख़त का जवाब आया था
ख़त न लिक्खा करो ये लिक्खा था

मैं ज़बाँ से तो कह नहीं सकता
जो नज़ारा नज़र ने देखा था

वक़्त-ए-मुश्किल वो साथ छोड़ गया
जिस पे मुझ को बड़ा भरोसा था

अपने बेगाने होते जाते थे
बस इसी बात का अचम्भा था

क़त्ल करता था बे-गुनाहों का
सब की नज़रों में जो फ़रिश्ता था

जिस में 'राना' हमारी उम्र कटी
वो ज़माना भी क्या ज़माना था