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मेरे कहने से तो दिल उन पर मिरा आया न था | शाही शायरी
mere kahne se to dil un par mera aaya na tha

ग़ज़ल

मेरे कहने से तो दिल उन पर मिरा आया न था

नसीम अंसारी

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मेरे कहने से तो दिल उन पर मिरा आया न था
आईने को मैं ने ख़ुद पत्थर से टकराया न था

जो हुआ जो कुछ हुआ मेरी ख़ता मेरा क़ुसूर
तोड़ कर अहद-ए-वफ़ा क्या वो भी पछताया न था

मैं ने देखी है अमीर-ए-शहर की वो मुफ़्लिसी
दौलत-ए-दुनिया थी लेकिन ग़म का सरमाया न था

हम ने सोचा अब फ़राज़-ए-दार से देखें उसे
ज़िंदगानी का कोई मंज़र हमें भाया न था

तुझ को ही मक़्सूद थी अपने लिए कुछ बंदगी
वर्ना आदम ने तिरी जन्नत को ठुकराया न था