मेरे जैसे बन जाओगे जब इश्क़ तुम्हें हो जाएगा
दीवारों से सर टकराओगे जब इश्क़ तुम्हें हो जाएगा
हर बात गवारा कर लोगे मिन्नत भी उतारा कर लोगे
ता'वीज़ें भी बंधवाअोगे जब इश्क़ तुम्हें हो जाएगा
तन्हाई के झूले खोलेंगे हर बात पुरानी भूलेंगे
आईने से तुम घबराओगे जब इश्क़ तुम्हें हो जाएगा
जब सूरज भी खो जाएगा और चाँद कहीं सो जाएगा
तुम भी घर देर से आओगे जब इश्क़ तुम्हें हो जाएगा
बेचैनी बढ़ जाएगी और याद किसी की आएगी
तुम मेरी ग़ज़लें गाअोगे जब इश्क़ तुम्हें हो जाएगा
ग़ज़ल
मेरे जैसे बन जाओगे जब इश्क़ तुम्हें हो जाएगा
सईद राही