मेरे आ'साब मोअ'त्तल नहीं होने देंगे
ये परिंदे मुझे पागल नहीं होने देंगे
तू ख़ुदा होने की कोशिश तो करेगा लेकिन
हम तुझे आँख से ओझल नहीं होने देंगे
यार इक बार परिंदों को हुकूमत दे दो
ये किसी शहर को मक़्तल नहीं होने देंगे
ये जो चेहरे हैं यहाँ चाँद से चेहरे 'ताबिश'
ये मिरा इश्क़ मुकम्मल नहीं होने देंगे
ग़ज़ल
मेरे आ'साब मोअ'त्तल नहीं होने देंगे
अब्बास ताबिश