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मेरा वहम-ओ-गुमान रहने दे | शाही शायरी
mera wahm-o-guman rahne de

ग़ज़ल

मेरा वहम-ओ-गुमान रहने दे

विशाल खुल्लर

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मेरा वहम-ओ-गुमान रहने दे
सुन मुझे बे-ज़बान रहने दे

दर्द-ए-दिल कामरान रहने दे
ऐ मोहब्बत जवान रहने दे

मुझ में ऊँची उड़ान रहने दे
मेरी हसरत जवान रहने दे

मुर्दा लोगों की बस्तियाँ वीराँ
मेरे जज़्बों में जान रहने दे

जा-ब-जा जम्अ' सूरजों की भीड़
मान ऐ आसमान रहने दे

एक चुप सी लगी हुई अच्छी
रहने दे दास्तान रहने दे

मैं भी ख़ुद को बचा सकूँ ख़ुद से
ऐसा हर्फ़-ए-बयान रहने दे

काम बनने लगें अगर यूँही
सब के सब राम बान रहने दे

ग्रंथ इक प्रेम का पढ़ा मुझ को
और किताबों का ज्ञान रहने दे

आग में जल रहा हूँ बरसों से
अब मिरा इम्तिहान रहने दे