मेरा शाहिद वो हमें अय्यार आता है नज़र
हम को हम पाते नहीं जब यार आता है नज़र
कसरत-ए-शौक़-ए-मोहब्बत में मुझे हर तरह से
जिस तरफ़ देखूँ रुख़-ए-दिलदार आता है नज़र
जान का धोका हमें होता है राह-ए-इश्क़ में
मर्ग का हर एक दम आसार आता है नज़र
दाग़-ए-हिज्राँ के सिवा लाया न कू-ए-यार से
जो कोई इस राह का बीमार आता है नज़र
पा-बरहना सीना बिरयाँ है तन-ए-उर्यां वही
जो कि उस का आशिक़-ए-सरशार आता है नज़र
राह से दैर-ओ-हरम की है जो कू-ए-यार में
है वही दीं-दार गर कुफ़्फ़ार आता है नज़र
बअ'द मुद्दत गर्दिश-ए-तस्बीह से 'मिस्कीं' हमें
दाना-ए-तस्बीह में ज़ुन्नार आता है नज़र

ग़ज़ल
मेरा शाहिद वो हमें अय्यार आता है नज़र
मिस्कीन शाह