EN اردو
मेरा किया था मैं टूटा कि बिखरा रहा | शाही शायरी
mera kiya tha main TuTa ki bikhra raha

ग़ज़ल

मेरा किया था मैं टूटा कि बिखरा रहा

वसीम बरेलवी

;

मेरा किया था मैं टूटा कि बिखरा रहा
तेरे हाथों में तो इक खिलौना रहा

इक ज़रा सी अना के लिए उम्र भर
तुम भी तन्हा रहे मैं भी तन्हा रहा

तेरे जाने का मंज़र ही ग़म-ख़्वार था
ज़िंदगी भर जो आँखों से लिपटा रहा

मेरा एहसास सदियों पे फैला हुआ
ऐसा आँसू जो पलकें बदलता रहा

घर की सब रौनक़ें मुझ से और मैं 'वसीम'
ताक़ पर इक दिए जैसा जलता रहा