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मौसमों का जवाब दे दीजे | शाही शायरी
mausamon ka jawab de dije

ग़ज़ल

मौसमों का जवाब दे दीजे

साबिर दत्त

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मौसमों का जवाब दे दीजे
आज थोड़ी शराब दे दीजे

आप का हुस्न है बहार मिरी
इन लबों के गुलाब दे दीजे

किस लिए है नक़ाब में चेहरा
पढ़ने वाली किताब दे दीजे

सर से पा तक ख़ुमार का आलम
ये छलकती शराब दे दीजे

ज़ुल्फ़ की शाम सुब्ह चेहरे की
यही मौसम जनाब दे दीजे

एक दिन और ज़िंदगी जी लें
रात भर को शबाब दे दीजे