मौसम-ए-गुल बहार के दिन थे
जो तिरे मेरे प्यार के दिन थे
जो तिरे इंतिज़ार में गुज़रे
बस वही इंतिज़ार के दिन थे
जो बहुत बे-क़रार रखते थे
हाँ वही तो क़रार के दिन थे
जिन दिनों दिल पे इख़्तियार न था
क्या वही इख़्तियार के दिन थे
थे मुक़य्यद तिरी मोहब्बत में
ज़िंदगी से फ़रार के दिन थे
ग़ज़ल
मौसम-ए-गुल बहार के दिन थे
ताहिर अज़ीम