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मौसम-ए-गुल बहार के दिन थे | शाही शायरी
mausam-e-gul bahaar ke din the

ग़ज़ल

मौसम-ए-गुल बहार के दिन थे

ताहिर अज़ीम

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मौसम-ए-गुल बहार के दिन थे
जो तिरे मेरे प्यार के दिन थे

जो तिरे इंतिज़ार में गुज़रे
बस वही इंतिज़ार के दिन थे

जो बहुत बे-क़रार रखते थे
हाँ वही तो क़रार के दिन थे

जिन दिनों दिल पे इख़्तियार न था
क्या वही इख़्तियार के दिन थे

थे मुक़य्यद तिरी मोहब्बत में
ज़िंदगी से फ़रार के दिन थे