EN اردو
मशीनें काम अपना कर रही हैं | शाही शायरी
mashinen kaam apna kar rahi hain

ग़ज़ल

मशीनें काम अपना कर रही हैं

उबैद हारिस

;

मशीनें काम अपना कर रही हैं
हमें भी अपने जैसा कर रही हैं

हज़ारों मील से आती हवाएँ
यहाँ कोहराम बरपा कर रही हैं

नई बैसाखियाँ अक्स ओ सदा की
हमारे क़द को ऊँचा कर रही हैं

सभी को ऊँघ सी आने लगी है
फ़ज़ाएँ जादू-टोना कर रही हैं

हमारा दिल तो हंगामों भरा था
यहाँ तन्हाइयाँ क्या कर रही हैं

ये ज़ालिम हँसने वाली हस्तियाँ हैं
फ़क़त रूमाल गीला कर रही हैं