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मसअला ये है कि उस के दिल में घर कैसे करें | शाही शायरी
masala ye hai ki uske dil mein ghar kaise karen

ग़ज़ल

मसअला ये है कि उस के दिल में घर कैसे करें

फ़र्रुख़ जाफ़री

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मसअला ये है कि उस के दिल में घर कैसे करें
दरमियाँ के फ़ासले का तय सफ़र कैसे करें

कोई सुनता ही नहीं अर्ज़-ए-हुनर कैसे करें
ख़ुद को हम अपनी नज़र में मो'तबर कैसे करें

आख़िरी पत्थर से बे-सम्त-ओ-निशाँ जाना है अब
हम खुली आँखों से ये अंधा सफ़र कैसे करें

जान के जाने का अंदेशा बहुत है अब की बार
मअरका भी आख़िरी करना है सर कैसे करें

कुछ दिनों की बात हो तो काट दें आँखों में रात
नींद अगर आए न 'फ़र्रुख़' उम्र भर कैसे करें