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मरना तो बेहतर है जो मर जाइए | शाही शायरी
marna to behtar hai jo mar jaiye

ग़ज़ल

मरना तो बेहतर है जो मर जाइए

जोशिश अज़ीमाबादी

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मरना तो बेहतर है जो मर जाइए
जी से किसी के न उतर जाइए

क़त्ल तो करता नहीं वो किस तरह
उस के गुनाहगार ठहर जाइए

क्या लिखूँ ताक़त नहीं ऐ नामा-बर
मरने ही की ले के ख़बर जाइए

आए हो गर याँ तलक ऐ मेहरबाँ
बैठे कोई दम तो ठहर जाइए

सू-ए-हरम या तरफ़-ए-बुत-कदा
अल-ग़रज़ ऐ शैख़ जिधर जाइए

दोनों जगह जल्वा-गह-ए-यार है
ख़्वाह इधर ख़्वाह उधर जाइए