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मरना तक़दीर है ज़ंजीर बजा लो पहले | शाही शायरी
marna taqdir hai zanjir baja lo pahle

ग़ज़ल

मरना तक़दीर है ज़ंजीर बजा लो पहले

जावेद लाहौरी

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मरना तक़दीर है ज़ंजीर बजा लो पहले
कुछ हो सय्याद से आँखें तो मिला लो पहले

अब्र तुम खुल के बरसना सर-ए-गुलज़ार-ए-हयात
दुश्मन-ए-गुल पे ज़रा बर्क़ गिरा लो पहले

दार की सम्त रवाँ हो मगर ऐ दीवानो
इक जहाँ दाद-गर अपना तो बना लो पहले

इश्क़ का ज़हर जो घुल जाए तो पी लो बे-ग़म
जाम-ए-मय और ज़रा तेज़ मिला लो पहले

अर्श-ए-तक़्दीस को जाते हुए ऐ आदम-ए-नौ
कहकशाँ गर्द है रस्ते से हटा लो पहले

तुम ने सुन रक्खा है आज़ादी-ए-'जावेद' का नाम
मर्ग की आँख से आँखें तो मिला लो पहले