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मजबूरियों में बाँट ले जो दर्द कौन है | शाही शायरी
majburiyon mein banT le jo dard kaun hai

ग़ज़ल

मजबूरियों में बाँट ले जो दर्द कौन है

अमर सिंह फ़िगार

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मजबूरियों में बाँट ले जो दर्द कौन है
पलकों से झाड़े गुल पे जमी गर्द कौन है

शो'लों पे नंगे पाँव चला जा रहा है जो
देखो वो बुर्दबार जवाँ-मर्द कौन है

सहरा सुलग रहा हो तो पानी बुझाएगा
पानी की आग को जो करे सर्द कौन है

इन महवशों की भीड़ में ख़ामोश इक तरफ़
बैठा है जो छुपाए रुख़-ए-ज़र्द कौन है

भूले से आ गया हूँ फ़रिश्तों के देस में
किस से पता करूँ कि यहाँ फ़र्द कौन है

यारब मुझे चढ़ा दे किसी हादसे की भेंट
देखूँ कि मेरा शहर में हमदर्द कौन है