मैं तो झोंका हूँ हवाओं का उड़ा ले जाऊँगा
जागती रहना तुझे तुझ से चुरा ले जाऊँगा
हो के क़दमों पे निछावर फूल ने बुत से कहा
ख़ाक में मिल कर भी मैं ख़ुशबू बचा ले जाऊँगा
कौन सी शय मुझ को पहुँचाएगी तेरे शहर तक
ये पता तो तब चलेगा जब पता ले जाऊँगा
कोशिशें मुझ को मिटाने की भले हों कामयाब
मिटते मिटते भी मैं मिटने का मज़ा ले जाऊँगा
शोहरतें, जिन की वज्ह से दोस्त दुश्मन हो गए
सब यहीं रह जाएँगी मैं साथ क्या ले जाऊँगा

ग़ज़ल
मैं तो झोंका हूँ हवाओं का उड़ा ले जाऊँगा
कुमार विश्वास