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मैं सुन रहा हूँ जो दुनिया सुना रही है मुझे | शाही शायरी
main sun raha hun jo duniya suna rahi hai mujhe

ग़ज़ल

मैं सुन रहा हूँ जो दुनिया सुना रही है मुझे

अफ़ज़ल गौहर राव

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मैं सुन रहा हूँ जो दुनिया सुना रही है मुझे
हँसी तो अपनी ख़मोशी पे आ रही है मुझे

मिरे वजूद की मिट्टी में ज़र नहीं कोई
ये इक चराग़ की लौ जगमगा रही है मुझे

ये कैसे ख़्वाब की ख़्वाहिश में घर से निकला हूँ
कि दिन में चलते हुए नींद आ रही है मुझे

कोई सहारा मुझे कब सँभाल सकता है
मिरी ज़मीन अगर डगमगा रही है मुझे

मैं इस जहान में ख़ुश हूँ मगर कोई आवाज़
नए जहान की जानिब बुला रही है मुझे