मैं रोता हूँ आह-ए-रसा बंद है
बरसता है पानी हवा बंद है
नहीं मुर्ग़-ए-जाँ जिस्म-ए-सद-चाक में
हमारे क़फ़स में हुमा बंद है
कहाँ क़ाफ़िला तक रसाई मुझे
मैं हूँ लंग शोर-ए-दरा बंद है
दिल-ए-वहशी अपना छुटे किस तरह
कि ज़ंजीर-ए-गेसू का पाबंद है
ग़ज़ल
मैं रोता हूँ आह-ए-रसा बंद है
मुनीर शिकोहाबादी