मैं फिर से हो जाऊँगा तन्हा इक दिन
बैन करेगा रूह का सन्नाटा इक दिन
जिन में अभी इक वहशी आग के साए हैं
वो आँखें हो जाएँगी सहरा इक दिन
बीत चुका होगा ये ख़्वाबों का मौसम
बंद मिलेगा नींद का दरवाज़ा इक दिन
मिट जाएगा सेहर तुम्हारी आँखों का
अपने पास बुला लेगी दुनिया इक दिन
डूब रहा हूँ झूट और खोट के दरिया में
जाने कहाँ ले जाए ये दरिया इक दिन
मैं भी लूट आऊँगा अपने तआ'क़ुब से
तुम भी मुझ को ढूँढ के थक जाना इक दिन
ग़ज़ल
मैं फिर से हो जाऊँगा तन्हा इक दिन
साक़ी फ़ारुक़ी