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मैं ने तो इक बात कही थी बात को फैलाया है कितना | शाही शायरी
maine to ek baat kahi thi baat ko phailaya hai kitna

ग़ज़ल

मैं ने तो इक बात कही थी बात को फैलाया है कितना

ख़लील रामपुरी

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मैं ने तो इक बात कही थी बात को फैलाया है कितना
अब मैं समझा हूँ दुनिया ने मुझ को पहचाना है कितना

जाने किस ने थप्पड़ मारा काले बादल के चेहरे पर
मैं ने देखा है बादल को ग़ुस्से में बरसा है कितना

लाठी पानी में डालों तो वापस आती है पानी पर
दरिया ज़ोर-आवर है कितना मेरा सरमाया है कितना

कल मैं ने कुछ चेहरे देखे कैफ़े के इक लॉन में बैठे
क्या बतलाऊँ मुझ को उस का चेहरा याद आया है कितना

उस से मिल कर ख़ुश होता हूँ फिर इस सोच में खो जाता हूँ
बाहर से उजला है कितना अंदर से काला है कितना

'रामपूर' जी ये मत पूछो दिल मेरा रोने लगता है
क्या बोलों सोचा है कितना और उस को पाया है कितना