EN اردو
मैं ने जो ये कहा तुम्हें उल्फ़त मिरी नहीं | शाही शायरी
maine jo ye kaha tumhein ulfat meri nahin

ग़ज़ल

मैं ने जो ये कहा तुम्हें उल्फ़त मिरी नहीं

लाला माधव राम जौहर

;

मैं ने जो ये कहा तुम्हें उल्फ़त मिरी नहीं
गर्दन झुका के नाज़ से बोले कि जी नहीं

जब तुम जुदा हुए तो ख़ुदा हम को मौत दे
मंज़ूर इस तरह की हमें ज़िंदगी नहीं

तू जिस को चाहे ख़ाक से मसनद-नशीं करे
है बे-हिसाब फ़ैज़ तेरा कुछ कमी नहीं

नासेह नसीहतें ये कहाँ याद रहती हैं
हज़रत अभी किसी से तबीअत लगी नहीं

'जौहर' ख़ुदा हसीनों से हर एक को बचाए
उन लोगों को ख़याल किसी का कभी नहीं