मैं कहा था कभी से ये कुछ है
जिस का आलिम अभी से ये कुछ है
जा-ए-शिकवा नहीं सुलूक उस का
देखता हूँ सभी से ये कुछ है
जब से देखा है तुझ को अब तो क्या
हालत-ए-दिल तभी से ये कुछ है
हम ने जाना सुख़न की शीरीनी
उस की शक्कर-लबी ही से ये कुछ है
दिन को तो ख़ैर थी 'हसन' पर कुछ
बे-क़रारी शब ही से ये कुछ है
ग़ज़ल
मैं कहा था कभी से ये कुछ है
मीर हसन