EN اردو
मैं जो ठहरा ठहरता चला जाऊँगा | शाही शायरी
main jo Thahra Thaharta chala jaunga

ग़ज़ल

मैं जो ठहरा ठहरता चला जाऊँगा

अतीक़ुल्लाह

;

मैं जो ठहरा ठहरता चला जाऊँगा
या ज़मीं में उतरता चला जाऊँगा

जिस जगह नूर की बारिशें थम गईं
वो जगह तुझ से भरता चला जाऊँगा

दरमियाँ में अगर मौत आ भी गई
उस के सर से गुज़रता चला जाऊँगा

तेरे क़दमों के आसार जिस जा मिले
इस हथेली पे धरता चला जाऊँगा

दूर होता चला जाऊँगा दूर तक
पास ही से उभरता चला जाऊँगा

रौशनी रखता जाएगा तू हाथ पर
और मैं तहरीर करता चला जाऊँगा