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मैं हूँ तेरे लिए बेनाम-ओ-निशाँ आवारा | शाही शायरी
main hun tere liye benam-o-nishan aawara

ग़ज़ल

मैं हूँ तेरे लिए बेनाम-ओ-निशाँ आवारा

यूसुफ़ ज़फ़र

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मैं हूँ तेरे लिए बेनाम-ओ-निशाँ आवारा
ज़िंदगी मेरे लिए तू है कहाँ आवारा

तुझ से कट कर कोई देखे तो कहाँ पहुँचा हूँ
जैसे नद्दी में कोई संग-ए-रवाँ आवारा

तुझ को देखा है कहीं तुझ को कहाँ देखा है
वहम है सर-ब-गरेबाँ ओ गुमाँ आवारा

दैर-ओ-काबा की रिवायात से इंकार नहीं
आओ दो दिन तो फिरें नारा-ज़नाँ आवारा

तेरे दामन की तरह दामन-ए-शब रख़्शंदा
मेरे अश्कों की तरह कौन-ओ-मकाँ आवारा

जलते-बुझते हैं हर इक गाम पे ताबिंदा नुजूम
कोई है आज सर-ए-काहकशाँ आवारा

भीगी रातों में 'ज़फ़र' फिरता है तन्हा तन्हा
आह वो सोख़्ता-दिल सोख़्ता-जाँ आवारा