मैं भी रौशन दिमाग़ रखता हूँ
चाँद जैसा चराग़ रखता हूँ
मेरे होंटों पे मुस्कुराहट है
गरचे सीने में दाग़ रखता हूँ
क्या मिरे पास काम पतझड़ का
दिल में सरसब्ज़ बाग़ रखता हूँ
मुझ से कुछ तुम छुपा न पाओगे
एहतिमाम-ए-सुराग़ रखता हूँ
प्यास कैसे मुझे लगे 'नाक़िद'
इक लबालब अयाग़ रखता हूँ
ग़ज़ल
मैं भी रौशन दिमाग़ रखता हूँ
शब्बीर नाक़िद