मय पिए मस्त है सरशार कहाँ जाता है
इस शब-ए-तार में ऐ यार कहाँ जाता है
तेग़-बर-दोश सिपर हाथ में दामन-गर्दां
ये बना सूरत-ए-खूँ-ख़्वार कहाँ जाता है
दिल को आराम नहीं एक भी दम याँ तुझ बिन
तू मिरे पास से दिलदार कहाँ जाता है
एक आलम अभी हैरत-ज़दा कर आया तू
फिर अब ऐ आईना-रुख़्सार कहाँ जाता है
जाम-ओ-मीना-ओ-मय-ओ-साक़ी-ओ-मुतरिब हम-राह
इस सर-अंजाम से 'बेदार' कहाँ जाता है
ग़ज़ल
मय पिए मस्त है सरशार कहाँ जाता है
मीर मोहम्मदी बेदार