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मय पिए मस्त है सरशार कहाँ जाता है | शाही शायरी
mai piye mast hai sarshaar kahan jata hai

ग़ज़ल

मय पिए मस्त है सरशार कहाँ जाता है

मीर मोहम्मदी बेदार

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मय पिए मस्त है सरशार कहाँ जाता है
इस शब-ए-तार में ऐ यार कहाँ जाता है

तेग़-बर-दोश सिपर हाथ में दामन-गर्दां
ये बना सूरत-ए-खूँ-ख़्वार कहाँ जाता है

दिल को आराम नहीं एक भी दम याँ तुझ बिन
तू मिरे पास से दिलदार कहाँ जाता है

एक आलम अभी हैरत-ज़दा कर आया तू
फिर अब ऐ आईना-रुख़्सार कहाँ जाता है

जाम-ओ-मीना-ओ-मय-ओ-साक़ी-ओ-मुतरिब हम-राह
इस सर-अंजाम से 'बेदार' कहाँ जाता है