मय-ए-कौसर का असर चश्म-ए-सियह-फ़ाम में है
साक़ी-ए-मस्त अजब कैफ़ तिरे जाम में है
देखिए फ़ैसला-ए-यास-ओ-तमन्ना क्या हो
सुब्ह-ए-महशर की झलक तीरगी-ए-शाम में है
निगह-ए-मस्त का फिर ज़ोहद-शिकन दूर चले
फिर ढले बादा-ए-सरजोश जो इस जाम में है
छा गए शेवा-ए-बेदाद पे दिलकश नग़्मे
मैं क़फ़स में हूँ कि सय्याद मिरे दाम में है
मुतमइन ख़ुद ही नहीं फिर असर-अंदाज़ हो क्या
पंद-ए-वाइज़ अभी अंदेशा-ए-अंजाम में है
आरज़ू लुत्फ़ तलब इश्क़ सरासर नाकाम
मुब्तला ज़िंदगी-ए-दिल इन्हीं औहाम में है
ग़ज़ल
मय-ए-कौसर का असर चश्म-ए-सियह-फ़ाम में है
दिल शाहजहाँपुरी