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महव-ए-दीदार-ए-यार हूँ चुप हूँ | शाही शायरी
mahw-e-didar-e-yar hun chup hun

ग़ज़ल

महव-ए-दीदार-ए-यार हूँ चुप हूँ

तनवीर देहलवी

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महव-ए-दीदार-ए-यार हूँ चुप हूँ
इतना बे-इख़्तियार हूँ चुप हूँ

वो रुखाई से घोंटते हैं गला
क्या कहूँ बे-क़रार हूँ चुप हूँ

राज़-ए-दिल गर कहूँ तो हाल खुले
जान-ओ-जी से निसार हूँ चुप हूँ

कौन क़ातिल के आगे दम मारे
क्या कहूँ दिल-फ़िगार हूँ चुप हूँ

देखता याद-ए-चश्म में 'तनवीर'
सैर-ए-लैल-ओ-निहार हूँ चुप हूँ