महव-ए-दीदार-ए-यार हूँ चुप हूँ
इतना बे-इख़्तियार हूँ चुप हूँ
वो रुखाई से घोंटते हैं गला
क्या कहूँ बे-क़रार हूँ चुप हूँ
राज़-ए-दिल गर कहूँ तो हाल खुले
जान-ओ-जी से निसार हूँ चुप हूँ
कौन क़ातिल के आगे दम मारे
क्या कहूँ दिल-फ़िगार हूँ चुप हूँ
देखता याद-ए-चश्म में 'तनवीर'
सैर-ए-लैल-ओ-निहार हूँ चुप हूँ

ग़ज़ल
महव-ए-दीदार-ए-यार हूँ चुप हूँ
तनवीर देहलवी